( तर्ज - गुरु ! तुमहि तो हो ० )
क्यों भूल पड़ा ? क्यों भूल पड़ा ?
क्यों भूल पड़ा बिरथा बंदे ! ॥ टेक ॥
कृष्णकृष्ण ' कहो पलपल मुखसे ,
रँगजा भज भज गोविंदे ॥ २ ॥
जिसकर बंधन पडत जिवनमें ,
मत करना ऐसे धंधे ॥ १ ॥
कृष्णकृष्ण ' कहो पलपल मुखसे ,
रँगजा भज भज गोविंदे ॥ २ ॥
मत भूलो संसार विषयमों ,
झूठे हैं इनके फंदे ॥ ३ ॥
तुकड्यादास कहे जागा हो ,
ग्यानका अंजन ले अंधे ! ॥४ ॥
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